51 Shakti Peeth List: According to puranas, there are 51 shakti peeth formed where the pieces of body parts, clothes and ornaments worn by Sati fell. All these 51 places are considered to be holy lands and pilgrimages.
At present 42 Shakti Peeth present in India, Pakistan has 1, Bangladesh has 4, Sri Lanka has 1, Tibet has 1 and Nepal has 2 Shakti Peeth.
51 Shakti Peeth List
S.NO | Shakti Peeth | Location |
---|---|---|
1 | Mahamaya Shakti Peeth | Amarnath, Jammu and Kashmir |
2 | Fullara Devi Shaktipeeth | Attahasa, West Bengal |
3 | Bahula Shakti Peetha | Bardhaman, West Bengal |
4 | Mahishmardini Shaktipeeth | Bakreshwar, Siuri town |
5 | Avanti, Bhairav Parvat Shakti Peeth | Bairavparvat Ujjain, Madhya Pradesh |
6 | Shri Aparna, Bhabanipur Shaktipith | Bhavanipur, Bangladesh |
7 | Gandaki Chandi Shakti Peeth | Chandi River |
8 | Maa Bhramari, Janasthan Panchavati Nasik Shakti Peeth | Janasthaan |
9 | Kottari, Hinglaj Mata mandir, Karachi | Hinglaj, Karachi |
10 | Jayanti Shaktipeeth Temple | Bourbhag Village, Bangladesh |
11 | Yogeshwari | Khulna district in Bangladesh |
12 | Jwala or Shakti Siddhida | Kangra, Himachal Pradesh |
13 | Kalika | West Bengal |
14 | Kali in Kalmadhav | Amarkantak, Madhya Pradesh |
15 | Khamakya | Guwahati, Assam |
16 | Devgarbha/Kankleshwari | Birbhum, West Bengal |
17 | Sravani, Kanyakumari | Tamil Nadu |
18 | Chamudeshwari/Jaya Durga | Chamundi Hills, Mysore |
19 | Vimla | West Bengal |
20 | Kumara Shakti at Anandamayee Temple of West Bengal | West Bengal |
21 | Shakti Bhraamari, Ratnavali | West Bengal |
22 | Shakti Dakshayani | Manasarovar |
23 | Gayatri Manibandh | Pushkar, Rajasthan |
24 | Uma at Mithila | border of Nepal and India |
25 | Indraksh | Manipallavam |
26 | Mahashira, Guhyeshwari | Pashupatinath Temple |
27 | Bhawani at Chandranath Hills, Bangladesh | Bangladesh |
28 | Varahi, Panch Sagar, Uttar Pradesh | Uttar Pradesh |
29 | Chandrabhagat | Junagarh, Gujarat |
30 | Lalita of Prayag | |
31 | Savitri/Bhadra Kali | Kurukshetra, Haryana |
32 | Maihar/Shivani, Satna | Madhya Pradesh |
33 | Nandini or Nandikeshwari | West Bengal |
34 | Sarvashail/Rakini on Godavari river banks at Kotilingeswar Temple | Kotilingeswar Temple |
35 | Mahish Mardini at Shivaharkaray | Karachi of Pakistan |
36 | The Narmada Shondesh | Madhya Pradesh |
37 | Sundari | Bangladesh |
38 | Maha Lakshmi | Bangladesh |
39 | Devi Narayani | Tamil Nadu |
40 | Suganda of Shikarpur | Bangladesh |
41 | Tripura Sundari | Tripura |
42 | Mangal Chandika | Ujjain |
43 | Vishalakshi | Uttar Pradesh |
44 | Kapalini of Vibash | West Bengal |
45 | Ambika | Rajasthan |
46 | Uma at Vrindavan/Bhooteswar Temple | Uttar Pradesh |
47 | Tripurmalini | Jalandhar, Punjab |
48 | Amba at Ambaji | Gujarat |
49 | Jai Durga, Deogarh | Jharkhand |
50 | Danteshwari | Chattisgarh |
51 | Nabi Gaya | Jaipur |
51 Shakti Peeth List PDF Download
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Shakti Peeth List with Body Parts
Place | Part of the body | Name of Shakti |
---|---|---|
Trincomalee (Sri lanka) | Groin | Shankari devi |
Kanchi (Tamil Nadu) | Naval | Kamakshi Devi |
Praddyumnam (West Bengal) | Stomach part | Sri Srunkhala devi |
Mysore (Karnataka) | Hair | Chamundeshwari devi |
Alampur (Andhra Pradesh) | Upper teeth | Jogulamba devi |
Srisailam (Andhra Pradesh) | Neck part | Bhramaramba devi |
Kolhapur (Maharastra) | Eyes | Mahalakshmi devi |
Nanded (Maharastra) | Right hand | Eka Veerika devi |
Ujjain (Madhya Pradesh) | Upper lip | Mahakali devi |
Pithapuram (Andhra Pradesh) | Left hand | Puruhutika devi |
Jajpur (Odisha) | Navel | Biraja devi |
Draksharamam (Andhra Pradesh) | Left cheek | Manikyamba devi |
Guwahati (Assam) | Vulva | Kamarupa devi |
Prayaga (Uttar Pradesh) | Fingers | Madhaveswari devi |
Jwala (Himachal Pradesh) | Head part | Vaishnavi devi |
Gaya (Bihar) | Breast part | Sarvamangala devi |
Varanasi (Uttar Pradesh) | Wrist | Vishalakshi devi |
Srinagar (Kashmir) | Right hand | Saraswathi devi |
51 Shakti Peeth List Hindi
पुराण के अनुसार जहां सती देवी के शरीर के अंग गिरे, वहां वहां शक्ति पीठ बन गईं। List of 51 Shakti Peeth in detail is given in the table.
S.No | Name of Shakti | Body Part | Place | Detail |
---|---|---|---|---|
1 | कोट्टरी | ब्रह्मरंध्र (सिर का ऊपरी भाग) | हिंगुल या हिंगलाज, कराची, पाकिस्तान | कराची से 125 किमी दूर है। यहां माता का ब्रह्मरंध (सिर) गिरा था। इसकी शक्ति-कोटरी (भैरवी-कोट्टवीशा) है व भैरव को भीम लोचन कहते हैं। |
2 | महिष मर्दिनी | आँख | शर्कररे, कराची पाकिस्तान | पाक के कराची के पास यह शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता की आंख गिरी थी। इसकी शक्ति- महिषासुरमर्दिनी व भैरव को क्रोधिश कहते हैं। |
3 | सुनंदा | नासिका | सुगंधा, बांग्लादेश | बांग्लादेश के शिकारपुर के पास दूर सोंध नदी के किनारे स्थित है। माता की नासिका गिरी थी यहां। इसकी शक्ति सुनंदा है व भैरव को त्र्यंबक कहते हैं। |
4 | महामाया | गला | अमरनाथ, पहलगाँव, काश्मीर | भारत के कश्मीर में पहलगांव के निकट माता का कंठ गिरा था। इसकी शक्ति है महामाया और भैरव को त्रिसंध्येश्वर कहते हैं |
5 | सिधिदा (अंबिका) | जीभ | ज्वालाजी, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी। इसे ज्वालाजी स्थान कहते हैं। इसकी शक्ति है सिद्धिदा (अंबिका) व भैरव को उन्मत्त कहते हैं। |
6 | त्रिपुरमालिनी | बांया वक्ष | जालंधर , पंजाब | पंजाब के जालंधर में देवी तालाब, जहां माता का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था। इसकी शक्ति है त्रिपुरमालिनी व भैरव को भीषण कहते हैं। |
7 | अम्बाजी | हृदय | अम्बाजी मंदिर, गुजरात | अम्बाजी मंदिर, गुजरात जहां माता का हृदय गिरा था। इसकी शक्ति है जय दुर्गा और भैरव को वैद्यनाथ कहते हैं। |
8 | महाशिरा | दोनों घुटने | गुजयेश्वरी मंदिर, नेपाल, निकट पशुपतिनाथ मंदिर | नेपाल में गुजरेश्वरी मंदिर, जहां माता के दोनों घुटने (जानु) गिरे थे। इसकी शक्ति है महशिरा (महामाया) और भैरव को कपाली कहते हैं। |
9 | दाक्षायणी | दायां हाथ | मानस, कैलाश पर्वत, मानसरोवर, तिब्बत | तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर के मानसा के पास पाषाण शिला पर माता का दायां हाथ गिरा था। इसकी शक्ति है दाक्षायणी और भैरव अमर। |
10 | विमला | नाभि | बिराज, उत्कल, उड़ीसा | ओडिशा के विराज में उत्कल में यह शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता की नाभि गिरी थी। इसकी शक्ति विमला है व भैरव को जगन्नाथ कहते हैं। |
11 | गंडकी चंडी | मस्तक | गण्डकी नदी के तट पर, पोखरा, नेपाल में मुक्तिनाथ मंदिर | नेपाल में मुक्ति नाथ मंदिर, जहां माता का मस्तक या गंडस्थल अर्थात कनपटी गिरी थी। इसकी शक्ति है गंडकी चंडी व भैरव चक्रपाणि हैं। |
12 | देवी बाहुला | बायां हाथ | बाहुल, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल | प. बंगाल के अजेय नदी तट पर स्थित बाहुल स्थान पर माता का बायां हाथ गिरा था। इसकी शक्ति है देवी बाहुला व भैरव को भीरुक कहते हैं। |
13 | अवंति | ऊपरी ओष्ठ | भैरवपर्वत, उज्जयिनी, मध्य प्रदेश | मध्य प्रदेश के भैरवपर्वत, उज्जयिनी नामक स्थान पर माता की ऊपरी ओष्ठ गिरी थी। इसकी शक्ति है अवंति और भैरव को लंबकर्ण कहते हैं। |
14 | त्रिपुर सुंदरी | दायां पैर | माताबाढ़ी पर्वत शिखर, उदरपुर, त्रिपुरा | त्रिपुरा के राधाकिशोरपुर गांव के माता बाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दायां पैर गिरा था। इसकी शक्ति है त्रिपुर सुंदरी व भैरव को त्रिपुरेश कहते हैं। |
15 | भवानी | दांयी भुजा | छत्राल, चिट्टागौंग जिला, बांग्लादेश | बांग्लादेश चंद्रनाथ पर्वत पर छत्राल (चट्टल या चहल) में माता की दाईं भुजा गिरी थी। भवानी इसकी शक्तिहैं व भैरव को चंद्रशेखर कहते हैं। |
16 | भ्रामरी | बायां पैर | त्रिस्रोत, जलपाइगुड़ी जिला, पश्चिम बंगाल | प. बंगाल के जलपाइगुड़ी के त्रिस्रोत स्थान पर माता का बायां पैर गिरा था। इसकी शक्ति है भ्रामरी और भैरव को अंबर और भैरवेश्वर कहते हैं। |
17 | कामाख्या | योनि | कामगिरि, कामाख्या, नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असम | असम के कामगिरि में स्थित नीलांचल पर्वत के कामाख्या स्थान पर माता का योनि भाग गिरा था। कामाख्या इसकी शक्ति है व भैरव को उमानंद कहते हैं। |
18 | ललिता | हाथ की अंगुली | प्रयाग, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश | उत्तर प्रदेश के इलाहबाद (प्रयाग) के संगम तट पर माता के हाथ की अंगुली गिरी थी। इसकी शक्ति है ललिता और भैरव को भव कहते हैं। |
19 | जयंती | बायीं जंघा | जयंती, सिल्हैट जिला, बांग्लादेश | बांग्लादेश के खासी पर्वत पर जयंती मंदिर, जहां माता की बाईं जंघा गिरी थी। इसकी शक्ति है जयंती और भैरव को क्रमदीश्वर कहते हैं। |
20 | युगाद्या | दायें पैर का बड़ा अंगूठा | जुगाड़्या, खीरग्राम, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल | प. बंगाल के युगाद्या स्थान पर माता के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था। इसकी शक्ति है भूतधात्री और भैरव को क्षीर खंडक कहते हैं। |
21 | कालिका | दायें पैर का अंगूठा | कालीपीठ, कालीघाट, कोलकाता | कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था। इसकी शक्ति है कालिका और भैरव को नकुशील कहते हैं। |
22 | विमला | मुकुट | किरीट, मुर्शीदाबाद जिला, पश्चिम बंगाल | प. बंगाल के मुर्शीदाबाद जिला के किरीटकोण ग्राम के पास माता का मुकुट गिरा था। इसकी शक्ति है विमला व भैरव को संवत्र्त कहते हैं। |
23 | विशालाक्षी एवं मणिकर्णी | मणिकर्णिका | मणिकर्णिका घाट, काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश | यूपी के काशी में मणिकर्णिका घाट पर माता के कान के मणिजडि़त कुंडल गिरे थे। शक्ति है विशालाक्षी मणिकर्णी व भैरव को काल भैरव कहते हैं। |
24 | श्रवणी | पीठ | कन्याश्रम, तमिल नाडु | कन्याश्रम में माता का पृष्ठ भाग गिरा था। इसकी शक्ति है सर्वाणी और भैरव को निमिष कहते हैं। |
25 | सावित्री | एड़ी | कुरुक्षेत्र, हरियाणा | हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी (गुल्फ) गिरी थी। इसकी शक्ति है सावित्री और भैरव को स्थाणु कहते हैं। |
26 | गायत्री | दो पहुंचियां | मणिबंध, गायत्री पर्वत, अजमेर, राजस्थान | अजमेर के निकट पुष्कर के मणिबंध स्थान के गायत्री पर्वत पर दो मणिबंध गिरे थे। इसकी शक्ति है गायत्री और भैरव को सर्वानंद कहते हैं। |
27 | महालक्ष्मी | गला | श्रीशैल, बांग्लादेश | बांग्लादेश केशैल नामक स्थान पर माता का गला (ग्रीवा) गिरा था। इसकी शक्ति है महालक्ष्मी और भैरव को शम्बरानंद कहते हैं। |
28 | देवगर्भा | अस्थि | कांची, बीरभुम जिला, पश्चिम बंगाल | प. बंगाल के कोपई नदी तट पर कांची नामक स्थान पर माता की अस्थि गिरी थी। इसकी शक्ति है देवगर्भा और भैरव को रुरु कहते हैं। |
29 | काली | बायां नितंब | कालमाधव, अमरकंटक, मध्य प्रदेश | मध्यप्रदेश के शोन नदी तट के पास माता का बायां नितंब गिरा था जहां एक गुफा है। इसकी शक्ति है काली और भैरव को असितांग कहते हैं। |
30 | नर्मदा | दायां नितंब | शोणदेश, अमरकंटक, मध्य प्रदेश | मध्यप्रदेश के शोणदेश स्थान पर माता का दायां नितंब गिरा था। इसकी शक्ति है नर्मदा और भैरव को भद्रसेन कहते हैं। |
31 | उमा | केश गुच्छ/ चूड़ामणि | वृंदावन, भूतेश्वर महादेव मंदिर, उत्तर प्रदेश | मथुरा के निकट वृंदावन के भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे। इसकी शक्तिहै उमा और भैरव को भूतेश कहते हैं। |
32 | नारायणी | ऊपरी दाड़ | शुचि, कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग, तमिल नाडु | कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर है, जहां पर माता के दंत (ऊर्ध्वदंत) गिरे थे। शक्तिनारायणी और भैरव संहार हैं। |
33 | वाराही | निचला दाड़ | पंचसागर, अज्ञात | पंचसागर (अज्ञात स्थान) में माता की निचले दंत (अधोदंत) गिरे थे। इसकी शक्ति है वराही और भैरव को महारुद्र कहते हैं। |
34 | अपर्ण | बायां पायल | करतोयतत, भवानीपुर गांव, बांग्लादेश | बांग्लादेश के भवानीपुर गांव के पास करतोया तट स्थान पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी। इसकी शक्ति अर्पणा और भैरव को वामन कहते हैं। |
35 | श्री सुंदरी | दायां पायल | श्री पर्वत, लद्दाख, कश्मीर, अन्य मान्यता: श्रीशैलम, कुर्नूल जिला आंध्र प्रदेश | लद्दाख के पर्वत पर माता के दाएं पैर की पायल गिरी थी। इसकी शक्ति है श्रीसुंदरी और भैरव को सुंदरानंद कहते हैं। |
36 | कपालिनी | बायीं एड़ी | विभाष, तामलुक, पूर्व मेदिनीपुर जिला, पश्चिम बंगाल | पश्चिम बंगाल के जिला पूर्वी मेदिनीपुर के पास तामलुक स्थित विभाष स्थान पर माता की बायीं एड़ी गिरी थी। इसकी शक्ति है कपालिनी (भीमरूप) और भैरव को शर्वानंद कहते हैं। |
37 | चंद्रभागा | आमाशय | प्रभास, जूनागढ़ जिला, गुजरात | गुजरात के जूनागढ़ प्रभास क्षेत्र में माता का उदर गिरा था। इसकी शक्ति है चंद्रभागा और भैरव को वक्रतुंड कहते हैं। |
38 | अवंती | ऊपरी ओष्ठ | भैरवपर्वत, भैरव पर्वत, क्षिप्रा नदी तट, उज्जयिनी, मध्य प्रदेश | उज्जैन नगर में शिप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माता के ओष्ठ गिरे थे। इसकी शक्ति है अवंति और भैरव को लम्बकर्ण कहते हैं। |
39 | भ्रामरी | ठोड़ी | जनस्थान, गोदावरी नदी घाटी, नासिक, महाराष्ट्र | महाराष्ट्र के नासिक नगर स्थित गोदावरी नदी घाटी स्थित जनस्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी। शक्ति है भ्रामरी और भैरव है विकृताक्ष। |
40 | राकिनी/ विश्वेश्वरी | गाल | सर्वशैल/गोदावरीतीर, कोटिलिंगेश्वर मंदिर, गोदावरी नदी तीरे, राजमहेंद्री, आंध्र प्रदेश | आंध्रप्रदेश के कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास माता के वाम गंड (गाल) गिरे थे। इसकी शक्तिहै राकिनी और भैरव को वत्सनाभम/दंडपाणि कहते हैंं। |
41 | मंगल चंद्रिका | दायीं कलाई | उज्जनि, गुस्कुर स्टेशन से वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल | प. बंगाल के उज्जयिनी नामक स्थान पर माता की दाईं कलाई गिरी थी। इसकी शक्ति है मंगल चंद्रिका और भैरव को कपिलांबर कहते हैं। |
42 | कुमारी | दायां स्कंध | रत्नावली, हुगली जिला पश्चिम बंगाल | बंगाल के हुगली जिले के रत्नाकर नदी के तट पर माता का दायां स्कंध गिरा था। इसकी शक्ति है कुमारी और भैरव को शिव कहते हैं। |
43 | उमा महादेवी | पैर की हड्डी | मिथिला, भारत-नेपाल सीमा पर | भारत-नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के निकट मिथिला में माता का बायां स्कंध गिरा था। इसकी शक्ति है उमा और भैरव को महोदर कहते हैं। |
44 | कालिका देवी | पैर की हड्डी | नलहाटी, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल | पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नलहाटि स्टेशन के निकट नलहाटी में माता के पैर की हड्डी गिरी थी। इसकी शक्ति है कालिका देवी और भैरव को योगेश कहते हैं। |
45 | जयदुर्गा | दोनों कान | कर्नाट (अज्ञात स्थान) | कर्नाट (अज्ञात स्थान) में माता के दोनों कान गिरे थे। इसकी शक्ति है जयदुर्गा और भैरव को अभिरु कहते हैं। |
46 | महिषमर्दिनी | भ्रूमध्य | वक्रेश्वर, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल | पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में पापहर नदी के तट पर माता का भ्रुमध्य (मन:) गिरा था। शक्ति है महिषमर्दिनी व भैरव वक्रनाथ हैं। |
47 | यशोरेश्वरी | हाथ एवं पैर | यशोर, ईश्वरीपुर, खुलना जिला, बांग्लादेश | बांग्लादेश के खुलना जिला में माता के हाथ और पैर गिरे (पाणिपद्म) थे। इसकी शक्ति है यशोरेश्वरी और भैरव को चण्ड कहते हैं। |
48 | फुल्लरा | ओष्ठ | अट्टहास, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल | पश्चिम बंगला के लाभपुर स्टेशन से दो किमी दूर अट्टहास स्थान पर माता के ओष्ठ गिरे थे। इसकी शक्ति है फुल्लरा और भैरव को विश्वेश कहते हैं। |
49 | नंदिनी | गले का हार | नंदीपुर, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल | पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नंदीपुर स्थित बरगद के वृक्ष के समीप माता का गले का हार गिरा था। शक्ति नंदिनी व भैरव नंदीकेश्वर हैं। |
50 | इंद्राक्षी | पायल | लंका | श्रीलंका में संभवत: त्रिंकोमाली में माता की पायल गिरी थी। इसकी शक्ति है इंद्राक्षी और भैरव को राक्षसेश्वर कहते हैं। |
51 | अंबिका | बायें पैर की अंगुली | बिरात, निकट भरतपुर, राजस्थान | विराट (अज्ञात स्थान) में पैर की अँगुली गिरी थी। इसकी शक्ति है अंबिका और भैरव को अमृत कहते हैं। |
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